जानिए वास्तु शास्त्र की 10 दिशाएं और उनके देवता कौन हैं। इस गाइड में पढ़ें किस दिशा में कौन-सा देवता विराजमान है और कैसे वास्तु अनुसार सही दिशा चुनकर घर में सुख-शांति और समृद्धि ला सकते हैं।
Vastu Deities and Planets: भारतीय संस्कृति में वास्तु शास्त्र का विशेष स्थान है। ऐसा माना जाता है कि घर, ऑफिस या किसी भी निर्माण
स्थल की योजना बनाते समय दिशाओं का सही चयन अत्यंत आवश्यक होता है। अधिकांश लोग
केवल चार दिशाओं—पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण—से परिचित होते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र में
कुल 10 दिशाओं का उल्लेख
मिलता है।
Vastu Shastra For Home: हर दिशा का एक विशिष्ट देवता होता है, जिसका प्रभाव
हमारे जीवन पर पड़ता है। यही कारण है कि किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले दिशा का
विचार करना शुभ माना जाता है। यदि वास्तु के अनुसार सही दिशा का ध्यान रखा जाए,
तो जीवन में
सुख, शांति और उन्नति आती है; वहीं गलत दिशा का चयन समस्याओं को जन्म दे सकता है।
ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व)
उत्तर और पूर्व के बीच स्थित यह दिशा ईशान कोण कहलाती है। इसके देवता भगवान शिव हैं और ग्रह स्वामी बृहस्पति। इस दिशा में
पूजा स्थल या खिड़की-दरवाजा बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिशा घर में
सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति का स्रोत होती है।
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा के दिग्पाल इंद्र देव हैं और ग्रह स्वामी सूर्य। यह दिशा
पितरों का वास मानी जाती है। घर का मुख्य द्वार या खिड़की इस दिशा में होना शुभ
होता है, लेकिन यहां सीढ़ियां बनाना वास्तु दोष का कारण बन सकता है।
वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम)
उत्तर और पश्चिम के बीच की दिशा को वायव्य कहा जाता है। इसके देवता वायु देव हैं और ग्रह स्वामी चंद्रमा। इस दिशा में
हल्का सामान रखना रिश्तों में मिठास और सामंजस्य बढ़ाता है। गंदगी या भारी वस्तुएं
रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पश्चिम दिशा
इस दिशा के देवता वरुण देव हैं और ग्रह स्वामी शनि। पश्चिम दिशा
को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। यहां भारी सामान रखना शुभ माना जाता है। यदि यह दिशा
खाली रहे तो व्यापार, करियर और कार्यों में रुकावटें आ सकती हैं।
उत्तर दिशा (North
Direction)
उत्तर दिशा के देवता कुबेर हैं, जिन्हें धन के देवता माना जाता है, और इसके ग्रह स्वामी हैं बुध। यह दिशा धन-संपत्ति और समृद्धि की दिशा कहलाती है। यहां लक्ष्मी माता की तस्वीर या प्रतीक लगाने से आर्थिक स्थिरता बनी रहती है और घर में पैसों की
कमी नहीं होती।
आग्नेय दिशा (South-East
Direction)
दक्षिण और पूर्व के बीच की दिशा को आग्नेय कहा जाता है। इसके देवता अग्नि देव हैं और ग्रह स्वामी शुक्र। इस दिशा में रसोईघर बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यहां आग से
जुड़े कार्य करने से घर में सुख-शांति और स्वास्थ्य बना रहता है।
दक्षिण दिशा (South
Direction)
इस दिशा के देवता यमराज हैं और ग्रह स्वामी मंगल। दक्षिण दिशा
में भारी सामान रखना वास्तु के अनुसार उचित
होता है, लेकिन इस दिशा में मुख्य द्वार बनाना अशुभ माना गया है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
नैऋत्य दिशा (South-West
Direction)
दक्षिण और पश्चिम के बीच की दिशा को नैऋत्य कहा जाता है। इसके देवता नैऋत हैं और ग्रह स्वामी राहु-केतु। इस दिशा को ऊंचा और भारी रखना शुभ माना जाता है।
वास्तु के अनुसार यहां पानी का स्रोत जैसे टंकी या नल नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती
है।
ऊर्ध्व दिशा (Upward/Skyward
Direction)
आकाश की ओर जाने वाली दिशा को ऊर्ध्व कहा जाता है। इसके स्वामी ब्रह्मा देव हैं, लेकिन इसका कोई ग्रह स्वामी नहीं है। माना जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके
की गई प्रार्थना या ध्यान अत्यंत फलदायी
होता है और आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करता है।
अधो दिशा (Downward/Earthward
Direction)
धरती या पाताल की ओर जाने वाली दिशा को अधो या पाताल दिशा कहा जाता है। इसके देवता नाग देवता हैं। इसी कारण नया घर बनाते समय या प्रवेश से पहले भूमि पूजन और गृह प्रवेश पूजा का विशेष महत्व
बताया गया है, ताकि भूमि की ऊर्जा को संतुलित किया जा सके I
Disclaimer: यह सामग्री केवल शैक्षणिक और सांस्कृतिक जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत की गई है। वास्तु शास्त्र एक पारंपरिक भारतीय प्रणाली है, जिसका वैज्ञानिक प्रमाण हर स्थिति में उपलब्ध नहीं है। दिशाओं, देवताओं और ग्रहों से संबंधित जानकारी ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। कृपया किसी भी निर्माण, परिवर्तन या निर्णय से पहले प्रामाणिक वास्तु विशेषज्ञ या स्थानीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत, व्यावसायिक या भावनात्मक हानि के लिए उत्तरदायी नहीं हैं I